सरहद पर कँटीले तारों का तकिया लगाए अपनी बंदूक की नोक का सहारा लिए गर्मी, बरसात, आग, पानी, भूचाल ,तूफान से जूझने वाले सिपाही शायद किसी और मिट्टी के बने होते हैं यही कारण है कि परिवार के प्यार से कहीं अधिक ये देश से प्यार करते हैं अपनी माँ से कहीं अधिक धरती माँ से प्यार करते हैं। इनकी प्रशंसा में जितने भी कसीदे काढ़े जाए उतनी कम है। मेरी यह कहानी उनके जीवन की झलक मात्र है।