विश्व भर में हिमनद (ग्लेशियर) की अहमियत पर जागरुकता प्रसार और बचाव उपायों के उद्देश्य से 21 मार्च को पहली बार ‘विश्व हिमनद दिवस’ का आयोजन हो रहा है और 2025 को ग्लेशियर संरक्षण का वर्ष घोषित किया गया है.बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के कारण, हिमनद के पिघलने की रफ़्तार में अभूतपूर्व तेज़ी आ रही है, और यदि उनका पिघलना इसी दर से जारी रहा तो अगले कुछ दशकों में कई क्षेत्रों में, इन महत्वपूर्ण जल स्रोतों के लिए ख़तरा पैदा हो जाएगा और प्रभावित आबादी विस्थापित होने के लिए मजबूर हो सकती है. यूएन मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की वैज्ञानिक अधिकारी डॉक्टर सुलग्ना मिश्रा ने यूएन न्यूज़ हिन्दी के साथ एक बातचीत में बताया कि ग्लेशियर का पिघलना समुद्री जलस्तर में वृद्धि और मौसमी बदलावों की भी एक बड़ी वजह है, और निचले क्षेत्रों में रहने वाले करोड़ों लोगों के लिए, इसके विनाशकारी परिणाम होने की आशंका है.