Apmarjan Stotra (Padma Puraan) अपमार्जन स्तोत्र (पद्म पुराण)
यह अपमार्जन स्तोत्र भगवान विष्णु का श्रेष्ठ स्तोत्र है। पद्मपुराण में इसे भगवान् शिव ने माता पार्वती को सुनाया है।
समस्त प्रकार के रोग जैसे- नेत्ररोग, शिरोरोग, उदररोग, श्वासरोग, कम्पन, नासिकारोग, पादरोग, कुष्ठरोग, क्षयरोग, भंगदर, अतिसार, मुखरोग, पथरी, वात, कफ, पित्त, समस्त प्रकार के ज्वर तथा अन्य महाभयंकर रोग इस विचित्र स्तोत्र के पाठ करने से समाप्त हो जाते है। परकृत्या, भूत-प्रेत-वेताल-डाकिनी-शाकिनी तथा शत्रुपीड़ा, ग्रहपीड़ा, भय, शोक दुःखादि बन्धनों से साधक को मुक्ति मिलती है।
अपामार्जन स्तोत्र भगवान् विष्णु का स्तोत्र है जिसका प्रयोग विषरोगादि के निवारण के लिए किया जाता है। इस स्तोत्र के नित्य गायन या पाठन से सभी प्रकार के रोग शरीर से दूर रहते हैं, तथा इसका प्रयोग रोगी व्यक्ति के मार्जन द्वारा रोग निराकरण में किया जाता है।