झालावाड़। कृषि विज्ञान केन्द्र, झालावाड़ पर युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित कर बनाए रखने के लिए आर्या परियोजनान्तर्गत 10 दिवसीय ‘‘नर्सरी प्रबंधन प्रशिक्षण का आयोजन 2 सितम्बर से शुरू हुआ । समापन 11 सितम्बर को हुआ। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, डॉ अर्जुन कुमार वर्मा ने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत् केन्द्र द्वारा नर्सरी प्रबंधन पर 10 दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण का आयोजन कराया। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को उद्यमशीलता के आधार पर रोजगारपरक बनाना है। केन्द्र द्वारा जिले के 21 ग्रामीण युवाओं को नर्सरी स्थापित करने के लिए प्रेरित कर प्रशिक्षित किया।इससे वे पूरे सालभर अच्छी आय प्राप्त कर अच्छा जीवनयापन कर सके। समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. एस. के. सिंह, निदेशक, अटारी, जोधपुर जो कि ऑनलाइन गुगल मीट एप्लीकेशन के माध्यम से जुडे तथा प्रशिक्षणार्थियों से संवाद कर उनसे प्रतिक्रिया ली। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से अपने उद्बोधन में कहा कि आर्या परियोजना इस समय ग्रामीण युवाओं के लिए देश की सबसे बड़ी परियोजना है। ग्रामीण युवा विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों से नर्सरी प्रबंधन, संरक्षित खेती, वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन, मधुमक्खी पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, भेड़ पालन, डेयरी इत्यादि पर प्रशिक्षण प्राप्त कर एक नया रोजगार शुरू कर सकते है। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. एस. के. जैन, निदेशक प्रसार शिक्षा, प्रसार शिक्षा निदेशालय, कृषि विश्वविद्यालय, कोटा ऑनलाइन गुगल मीट एप्लीकेशन के माध्यम से जुड़कर प्रशिक्षणार्थियों को नर्सरी स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। तथा केन्द्र की गतिविधियों की सराहना करते हुए केन्द्र के सभी वैज्ञानिकों को निरंतर इसी ऊर्जा के साथ कार्य करने के लिए बधाई दी। इस अवसर पर केन्द्र के प्रसार शिक्षा वैज्ञानिक डॉ. मौहम्मद युनुस ने बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य युवा कृषकों को कृषि के क्षेत्र में आकर्षित कर कृषि क्षेत्र में बनाए रखना एवं युवा कृषकों को रोजगारपरक बनाकर गांव से शहरों की ओर हो रहे पलायन को रोकना है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रशिक्षण की सफलता तभी सिद्ध होगी। जब तक कि आप इन 10 दिवसों में नर्सरी प्रबंधन के लिए प्रदत्त तकनीकियों एवं जानकारियों को स्वयं अपनाकर आत्मभूत करें। प्रशिक्षण प्रभारी एवं उद्यान वैज्ञानिक श्री अरविन्द नागर ने इस प्रशिक्षण की गतिविधियों से अवगत कराते हुए कहा कि इन दस दिनों में प्रशिक्षणार्थियों को नर्सरी में पौध कैसे तैयार करें, प्रो ट्रे में बीज को कैसे लगाएं, कलम लगाना, कलम बांधना, दाब द्वारा प्रबंधन तथा नर्सरी में आने वाली समस्याओं के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी ‘‘ देख कर विश्वास करो’’ एवं ‘‘करके सीखो’’ सिद्धान्त सहित आधुनिक तरीकों से नर्सरी तैयार करना जैसे कि लॉ-टनल में सब्जियों की पौध तैयार कर बेमौसम में सब्जी उत्पादन कर अधिक आमदनी प्राप्त करने की प्रायोगिक जानकारी प्रदान की। केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक, डॉ. सेवाराम रूण्डला ने इस अवसर पर युवाओं को कहा कि नर्सरी प्रबंधन प्रशिक्षण में प्राप्त की कौशल विकास जानकारियों को अपनाकर अपना जीवन स्तर सुधारें। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशिक्षणार्थी नर्सरी के साथ-साथ वर्मीकम्पोस्ट इकाई भी स्थापित करें। इससे नर्सरी में पौधें तैयार करने में काफी मदद मिलेगी। इस अवसर पर लगभग सभी प्रशिक्षणर्थियों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए काफी हर्ष के साथ आश्वासन दिया कि हम जल्द से जल्द नर्सरी स्थापित कर अपनी आय बढ़ाकर अच्छी जीवन शैली की शुरूआत करेंगे। इस कार्यक्रम के दौरान तकनीकी सहायक, सुश्री सुनीता कुमारी, एस.आर.एफ (आर्या परियोजना) दिनेश कुमार चौधरी एवं शाहरूख खान, कम्प्यूटर ऑपरेटर ने प्रायोगिक, तकनीकी कार्य एवं प्रशिक्षण संचालन में सहयोग प्रदान किया।