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21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस मनाया जाता है. एक ऐसा दिन जब भाषायी और सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित रखने और उसके प्रचार प्रसार की अहमियत के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए जाते हैं.
कुछ अनुमानों के मुताबिक़ हर दो हफ़्ते में एक भाषा विलुप्त हो रही है. इसके साथ ही उस भाषा में बात करने वाले और उनसे जुड़े संस्कृति भी खो रही है जो चिंता का कारण है. लेकिन कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया का हिस्सा है. सीमित दायरे में प्रचलित भाषाएं विलुप्त होती हैं तो स्थानीय लोग अन्य भाषाओं को स्वीकार कर लेते हैं. ऐसे में भाषाओं को बचाने की ज़रूरत क्यों है.
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21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस मनाया जाता है. एक ऐसा दिन जब भाषायी और सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित रखने और उसके प्रचार प्रसार की अहमियत के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए जाते हैं.
कुछ अनुमानों के मुताबिक़ हर दो हफ़्ते में एक भाषा विलुप्त हो रही है. इसके साथ ही उस भाषा में बात करने वाले और उनसे जुड़े संस्कृति भी खो रही है जो चिंता का कारण है. लेकिन कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया का हिस्सा है. सीमित दायरे में प्रचलित भाषाएं विलुप्त होती हैं तो स्थानीय लोग अन्य भाषाओं को स्वीकार कर लेते हैं. ऐसे में भाषाओं को बचाने की ज़रूरत क्यों है.
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