Bhai Dooj (Yam Dwitiya) Mantra भाई दूज (यम द्वितीया) मंत्र ★
भाई दूज (यम द्वितीया) कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है।
भाई दूज के दिन दोपहर के बाद ही भाई को तिलक व भोजन कराना चाहिए। इसके अलावा यम पूजन भी दोपहर के बाद किया जाना चाहिए।
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भैयादूज, भाई दूज अथवा यम द्वितीया को मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है। इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित कर अथवा सायं उनके घर जाकर उन्हें तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं। बहन सगी (अपने माता-पिता से उत्पन्न), ममेरी (मामा-मामी से उत्पन्न), चचेरी (चाचा-चाची से उत्पन्न), धर्म (रक्षाबंधन द्वारा बनाई गई) कोई भी हो सकती है।
आइए जानें कैसे मनाएं भाई दूज -
* भाई दूज/भैया दूज के दिन भाई तेल मलकर गंगा-यमुना में स्नान करें। (यदि यह संभव न हो तो बहन के घर स्नान करें।)
बहन इस मंत्र से भाई का अभिनंदन करें
मंत्र-
भ्रातस्तवानुजाताहं भुंक्ष्व भक्तमिमं शुभं।
प्रीतये यमराजस्य यमुनाया विशेषत:।।
* तत्पश्चात बहन भाई को भोजन कराकर तिलक लगाकर उसके आयुष्य की कामना करे।
* भाई भोजन के बाद बहन के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करे और उपहारस्वरूप वस्त्राभूषण आदि दे।
* अपने भाई को शुभ आसन पर बैठाकर, हाथ-पैर धुलाकर, चावलयुक्त उत्तम पकवान, मिठाई आदि से अपनी सामर्थ्य अनुसार भोजन कराएं। इस दिन बहनों को चाहिए कि भोजन में भाइयों को चावल अवश्य खिलाएं।
* भाई अपनी बहन को यथा सामर्थ्य सौभाग्य वस्तुएं (वस्त्र, आभूषण) व नकद द्रव्य देकर उसके सौभाग्य की कामना करें।
* इस दिन यमराज तथा यमुनाजी के पूजन का भी विधान है।