सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै॥◆ जो व्यक्ति परस्पर सह-अस्तिव की भावना रखता है, मनुष्यों में वह श्रेष्ठ है। सभी के स्वास्थ्य और रक्षा की कामना करने वाला ही खुद के मन को निर्मल बनाकर श्रेष्ठ माहौल को प्राप्त होता है। जो व्यक्ति उपरिलिखित भावना को आत्मसात करता है, उसका जीवन श्रेष्ठ बनता जाता है।
सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै॥◆ जो व्यक्ति परस्पर सह-अस्तिव की भावना रखता है, मनुष्यों में वह श्रेष्ठ है। सभी के स्वास्थ्य और रक्षा की कामना करने वाला ही खुद के मन को निर्मल बनाकर श्रेष्ठ माहौल को प्राप्त होता है। जो व्यक्ति उपरिलिखित भावना को आत्मसात करता है, उसका जीवन श्रेष्ठ बनता जाता है।
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