# IGE का क्या इलाज है?
IgE यह एक विशेष प्रकार की एंटीबॉडी है, जो की शरीर की **इम्यून सिस्टम** के द्वारा बनाई जाती है। एंटीबॉडी मुख्य रूप से **एलर्जी और अस्थमा** जैसी समस्याओं से जुड़ी होती है।
- जब शरीर में किसी एलर्जन जैसे की , धूल, पालतू जानवर का बाल, या इत्र के संपर्क में आता है तो IgE ज्यादा एक्टिव हो जाता है.और हिस्टामिन जैसे रसायन रिलीज़ करता है।
- इससे खुजली का होना , छींक का आना , साँस लेने में परेशानी , त्वचा पर लाल चकत्ते दिखाई देते है.
२ ) IGE होने पर क्या कारण हो सकते है?
- IgE के स्तर बढ़ने पर कई अलग- अलग कारण हो सकते हैं: जैसे की,
1. एलर्जी : – धूल, फंगस, इत्र, पालतू जानवर के बाल को छूने से.
2.फूड एलर्जी : - दूध, अंडा, मूंगफली, समुद्री भोजन आदि।
3. अस्थमा :– जिन मरीज को अस्थमा है, उनमें अक्सर IgE का लेवल बढ़ा पाया जाता है।
4. त्वचा रोग: – जैसे एक्जिमा या एटोपिक डर्मेटाइटिस। 5. परजीवी संक्रमण : – वर्म से होने वाला संक्रमण से भी IgE बढ़ा सकते हैं। 6. परिवार में एलर्जी का इतिहास होने पर भी
३) IGE के क्या लक्षण हो सकते है?
- लगातार छींक का आते रहना - आँखों में से पानी और नाक में से पानी बहना
- त्वचा पर लाल दाने का दिखाई देना
- सांस लेने में परेशानी का होना
- बार-बार खाँसी आते रहना - भोजन करते समय रिएक्शन हो जाना
४) IGE की जाँच ?
- सिरम IgE टेस्ट : – खून की जाँच से ही IgE की मात्रा को नापा जाता है।
-स्किन प्रिक टेस्ट : – अलग-अलग एलर्जन्स से शरीर की प्रतिक्रिया को देखने के लिए किया जाता है। - फूड एलर्जी टेस्ट : – खाने-पीने की वस्तु से होने वाली एलर्जी।
५) HIGH IGE का इलाज ?
- 1. एलर्जन से बचाव
* जिस भी चीज़ से आपको एलर्जी हो, उनसे दूरी बनाएँ।
* पालतू जानवरों के बाल को छूने और इत्र से दूरी रखें।
* जो भी खाद्य से एलर्जी हो तो उन भोजन से पूरी तरह परहेज़ करें।
2. इम्यूनोथेरेपी
* इसमें मरीज को कम मात्रा में एलर्जन देते है, और धीरे-धीरे उसकी खुराक को बढ़ाई जाती है।
* इससे शरीर की एलर्जन कम होती है।
3. जीवनशैली और घरेलू उपाय
- भाप लेना में बहुत ही परेशानी से कम करता है।
- हल्दी और शहद यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं।
- अदरक और तुलसी से एलर्जिक लक्षणों को कम करने में सहायक होते है ।
#जटिलताएँ?
यदि IgE का लेवल लंबे समय तक ज्यादा रहे और इलाज न किया जाए तो:
* लगातार अस्थमा का अटैक का आना
* क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस होना
* स्किन पर रैशेज़ का होना
#रोकथाम
* अपने घर के आसपास सफाई रखे.
* मौसम के बदलने के समय
* संतुलित आहार का सेवन करना ।
* डॉक्टर के द्वारा दी गई दवाइयों का सेवन करने से