Ganesh Shadakshar Mantra Vidhaan गणेश षडाक्षर मंत्र विधान ◆
भगवान गणेश का उत्तम मंत्र जो षडाक्षर है जिन के ऋषि भार्गव है | इस मंत्र की साधना अवश्य करनी चाहिए | इस मंत्र के विधान में विनियोग और ध्यान का प्रावधान है । "वक्रतुण्डाय हुं " ◆ बेहद लाभकारी है. इस मंत्र का जाप करने से आपके किसी कार्य में रुकावट नहीं आती है.
विनियोगः
ॐ अस्य श्री गणेश मंत्रस्य भार्गव ऋषिरनुष्टुप छन्दः विघ्नेशो देवता वं बीजं यं शक्तिर्ममाभिष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोगः ।
गणेश ध्यानः
ॐ उद्यद्दिनेश्वर रुचिं निजपद्महस्तैः पाशांकुशाऽभयवरान दधतं गजास्यां ।
रक्तांबरं सकलदुःखहरं गणेशं
ध्यायेत प्रसन्नमखिलाभरणाभीरामं ||
ध्यान करने के बाद षडाक्षर मंत्र का आरम्भ करे ।
षडक्षर मंत्र
गणेशस्य मनुन्वक्षे सर्वाभीष्टप्रदायकान | जलं (व) चक्री (क) वह्नि (र) युतः कर्णेद्वाढ़या च कामिका (तुं) || दारको (ड) दीर्घसंयुक्तो (आ) वायुः (य) कवच (हु) पश्चिमः
षडक्षरोमंत्रराजो भजतामिष्टसिद्धिदः || साधको को समस्त अभीष्ट देने वाले गणेशजी का यह उत्तम मंत्र है । जल (व्) वह्नि के साथ चक्री (क्र) कर्णेन्दु के साथ कामिका (तुं) दीर्घसंयुक्त दारक (डा) वायु (य) तथा अंतिम चरण में कवच (हुम्) इस तरह से यह मंत्रराज साधको को अभीष्ट देता है।
मंत्रोच्चारण
★ ॐ वक्रतुण्डाय हुम् ★