Ghantakarna Stotra 2 घण्टाकर्ण स्तोत्र 2 ★
ॐ घंटाकर्णो महावीर, सर्व व्याधि विनाशकः ।
विस्फोटक भयं प्राप्ते, रक्ष-रक्ष महाबल: ॥
यत्रत्वं तिष्ठसे देव, लिखितोऽक्षर पंक्तिभिः।
रोगास्तत्र प्रणश्यति, वातपित्तकफोद्भवाः ।
तत्र राजभयं नास्ति, यांति कर्णे जपात्क्षयं
शाकिनी भूतवेताला, राक्षसा च प्रभवन्ति नः॥
नाकाले मरणं तस्य, न च सर्पेण डस्यते।
अग्नि चोर भयं नास्ति, ही घंयकों नमोस्तुते॥
ॐ नरवीर ठः ठः ठः स्वाहा।
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विधि- इस स्तोत्र को मंदिर जी में या घर में दीप जलाकर धूप खेते हुए रोज भक्ति पूर्वक पढ़ने से सर्व तरह की बाधायें दूर होकर धन-धान्य आदि की वृद्धि होकर गृह शांति होती है। अथवा उत्तर दिशा में लाल माला, वस्त्र, आसन से ७२ दिन में सवा लाख जप करें, अन्त में दशांश होम करें किसमिश, बादाम, नारियल, चारोली आदि से तो सर्व अरिष्ट शान्त हों।