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किराने का सामान, महत्वपूर्ण दस्तावेज़, कुरियर या कोई अन्य सामग्री हो, पार्सल वितरण की एक नई सेवा ज़रूरत का सामान लोगों के घरों तक पहुंचा रही है. अहम बात यह है कि ‘हे दीदी’ नाम की इस सेवा में हर ज़िम्मेदारी महिलाएं ही संभालती हैं. प्रशिक्षण प्राप्त एजेंट के तौर पर काम करने वाली अधिकांश महिलाएं निम्न आय वाले या ग़रीब परिवारों से आती हैं और यह अवसर उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बना रहा है.
इस पार्सल सेवा को शुरू करने वाली रेवती रॉय ने 2007 में ‘फ़ॉरशी’ नाम से एक टैक्सी सेवा की भी शुरुआत की थी जिसमें सिर्फ़ महिला चालक थीं और वो सेवा विशेष रूप से महिलाओं के लिए ही थी.
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किराने का सामान, महत्वपूर्ण दस्तावेज़, कुरियर या कोई अन्य सामग्री हो, पार्सल वितरण की एक नई सेवा ज़रूरत का सामान लोगों के घरों तक पहुंचा रही है. अहम बात यह है कि ‘हे दीदी’ नाम की इस सेवा में हर ज़िम्मेदारी महिलाएं ही संभालती हैं. प्रशिक्षण प्राप्त एजेंट के तौर पर काम करने वाली अधिकांश महिलाएं निम्न आय वाले या ग़रीब परिवारों से आती हैं और यह अवसर उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बना रहा है.
इस पार्सल सेवा को शुरू करने वाली रेवती रॉय ने 2007 में ‘फ़ॉरशी’ नाम से एक टैक्सी सेवा की भी शुरुआत की थी जिसमें सिर्फ़ महिला चालक थीं और वो सेवा विशेष रूप से महिलाओं के लिए ही थी.
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