यज्ञोपवीत को पुराना हो जाने पर अथवा घर में किसी के जन्म या मरण के दौरान सूतक लगने के बाद बदल देने की परम्परा है। गलती से जनेऊ अपवित्र हो जाए तो भी उसे तुरंत उतार कर दूसरा नया जनेऊ धारण करना पड़ता है।
यज्ञोपवीत को पुराना हो जाने पर अथवा घर में किसी के जन्म या मरण के दौरान सूतक लगने के बाद बदल देने की परम्परा है। गलती से जनेऊ अपवित्र हो जाए तो भी उसे तुरंत उतार कर दूसरा नया जनेऊ धारण करना पड़ता है।
जनेऊ उतारने का मंत्र :
एतावद्दिन पर्यन्तं ब्रह्म त्वं धारितं मया।
जीर्णत्वात्वत्परित्यागो गच्छ सूत्र यथा सुखम्।।
जनेऊ विसर्जन मन्त्र:
उपवीतं छिन्नतन्तुं जीर्णं कश्मलदूषितं
विसृजामि यशो ब्रह्मवर्चो दीर्घायुरस्तु मे ॥
ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः ★
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