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पेरिस समझौते की पाँचवी वर्षगाँठ से ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की एक नई रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि कोविड-19 के कारण वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कुछ गिरावट हुई है, लेकिन संकेत यही हैं कि वर्तमान स्थिति से, जलवायु परिवर्तन की बड़ी चुनौती का सामना करने में कोई ख़ास फर्क़ नहीं पड़ा है, और इस सदी के अन्त तक, वैश्विक तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है.
रिपोर्ट बताती है कि अगर जलवायु कार्रवाई के लिये तात्कालिक क़दम उठाए जाएँ, तो तापमान वृद्धि को रोका जा सकता है. इस रिपोर्ट और जलवायु महात्वाकाँक्षा सम्मेलन पर विस्तृत जानकारी के लिये सुनिये, भारत में यूएन एजेंसी की प्रोग्राम मैनेजमेंट ऑफ़िसर, दिव्या दत्ता के साथ एक ख़ास बातचीत.
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पेरिस समझौते की पाँचवी वर्षगाँठ से ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की एक नई रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि कोविड-19 के कारण वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कुछ गिरावट हुई है, लेकिन संकेत यही हैं कि वर्तमान स्थिति से, जलवायु परिवर्तन की बड़ी चुनौती का सामना करने में कोई ख़ास फर्क़ नहीं पड़ा है, और इस सदी के अन्त तक, वैश्विक तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है.
रिपोर्ट बताती है कि अगर जलवायु कार्रवाई के लिये तात्कालिक क़दम उठाए जाएँ, तो तापमान वृद्धि को रोका जा सकता है. इस रिपोर्ट और जलवायु महात्वाकाँक्षा सम्मेलन पर विस्तृत जानकारी के लिये सुनिये, भारत में यूएन एजेंसी की प्रोग्राम मैनेजमेंट ऑफ़िसर, दिव्या दत्ता के साथ एक ख़ास बातचीत.
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