Kalava Bandhan Mantra कलावा बन्धन मन्त्र ◆
हिंदू धर्म के ग्रंथों में पूजा से जुड़ी ऐसे कई नियमों का वर्णन है, जिनका हर तरह की पूजा व धार्मिक कार्य में ध्यान रखना अनिवार्य माना जाता है। इन्हीं में से एक नियम कलावे यानि मौली से संबंधित है, जिसे हम रक्षा सूत्र भी कहते हैं। पूजा में जितना महत्व तिलक का होता है उतना ही कलावे का भी होता है। किसी भी पूजा को बिना कलावा बांधे संपूर्ण नहीं माना जाता। इसके अलावा घर आदि में किसी भी प्रकार के अनुष्ठान में भी रक्षा सूत्र को बांधना बहुत शुभ माना जाता है।
रक्षा सूत्र या मौली बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ आदि के दौरान इसे बांधने की परंपरा तो पहले से ही रही है, पंरतु इसे संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में बांधने की वजह भी है और पौराणिक संबंध भी है।
पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को हमेशा दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए।
तो वहीं शादीशुदा महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा बांधने चाहिए।
जब हम मंदिर आदि में पुजारी से कलावा बंधवाते हैं तो वो साथ में मंत्रोच्चारण करते हैं। परंतु हम उस समय इस मंत्र को समझ नहीं पाते। वह मंत्र है
★ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।। ★ इस मंत्र का सामान्यत: यह अर्थ लिया जाता है कि दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं।