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संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफ़पीए) की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल लाखों लड़कियों को ऐसी प्रथाओं का सामना करना पड़ता है जिससे उन्हें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से नुक़सान पहुँचता है, और उनके परिवारों, दोस्तों व समुदायों को इस स्थिति की जानकारी होती है और उनकी सहमति भी.
पुत्र होने की इच्छा यानि पुत्रों को प्राथमिकता और लिंग-पक्षपातपूर्ण सैक्स चयन के परिणामस्वरूप दुनिया भर में 14 करोड़ 20 लाख से ज़्यादा लड़कियाँ गायब हो गई हैं.
भारत में, गर्भ में लिंग पक्षपाती सैक्स चयन (लड़कियों के बजाय लड़कों को वरीयता) के चलन की वजह से वर्ष 2013-17 के बीच, प्रत्येक वर्ष लगभग 4 लाख 60 हज़ार लड़कियाँ जन्म से पहले ही मौत का शिकार हो गईं. लिंग-पक्षपाती चयन के कारण केवल चीन (50%) और भारत (40%) में ही दुनियाभर के 90 प्रतिशत यानि कुल मिलाकर 1 करोड़ 20 लाख लड़कियों को जन्म से पहले ही मार देने के मामले होते हैं.
इस बारे में और जानकारी के लिए यूएन न्यूज़ हिन्दी की अंशु शर्मा ने भारत में यूएनएफ़पीए की लैंगिक मुद्दों पर राष्ट्रीय कार्यक्रम अधिकारी शोभना बोयेल से बातचीत की...
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संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफ़पीए) की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल लाखों लड़कियों को ऐसी प्रथाओं का सामना करना पड़ता है जिससे उन्हें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से नुक़सान पहुँचता है, और उनके परिवारों, दोस्तों व समुदायों को इस स्थिति की जानकारी होती है और उनकी सहमति भी.
पुत्र होने की इच्छा यानि पुत्रों को प्राथमिकता और लिंग-पक्षपातपूर्ण सैक्स चयन के परिणामस्वरूप दुनिया भर में 14 करोड़ 20 लाख से ज़्यादा लड़कियाँ गायब हो गई हैं.
भारत में, गर्भ में लिंग पक्षपाती सैक्स चयन (लड़कियों के बजाय लड़कों को वरीयता) के चलन की वजह से वर्ष 2013-17 के बीच, प्रत्येक वर्ष लगभग 4 लाख 60 हज़ार लड़कियाँ जन्म से पहले ही मौत का शिकार हो गईं. लिंग-पक्षपाती चयन के कारण केवल चीन (50%) और भारत (40%) में ही दुनियाभर के 90 प्रतिशत यानि कुल मिलाकर 1 करोड़ 20 लाख लड़कियों को जन्म से पहले ही मार देने के मामले होते हैं.
इस बारे में और जानकारी के लिए यूएन न्यूज़ हिन्दी की अंशु शर्मा ने भारत में यूएनएफ़पीए की लैंगिक मुद्दों पर राष्ट्रीय कार्यक्रम अधिकारी शोभना बोयेल से बातचीत की...
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