Manibhadra Mantra श्री मणिभद्र मन्त्र ◆ यक्षराज श्री मणिभद्र वीर, भगवान् महावीर स्वामी के निर्वाण से
४ वर्ष पूर्व ही इंद्रा बने हैं। वे भगवान के निर्वाण महोत्सव में शामिल थे| वो एक भवतारी है, यानि जो अगले जनम में मोक्ष जाने वाले हैं ऐसा उन्होंने तापगच्छाधिपति श्री इंद्रदिन्नसूरी महाराज साहेब को बताया है। श्री माणिभद्र इन्द्र समकीत धारी इन्द्र महाराजा है और अतूल्य बलशाली एवम प्रकट प्रभावी है। ये इन्द्र महराजा अपार ऋद्धि समृद्धि से सज्ज सम्पन्न इन्द्र देव हे, जिनके अन्तर्गत ४००० सामानीक देव ,१६००० आत्मरक्षक देव ,३०००० तीन पार्षदा के देव जो सतत् इन्द्र महाराजा की सेवा में तत्पर रहते हे..साथ मे ५२ वीर एवं ६४ योगनीया सदैव उनके आज्ञा के आधीन रहते है।
जिनशासन मे तपागच्छ नायक श्री माणिभद्र इन्द्र का अद्भुत प्रभाव हे जो कोइ मानव पवित्र ह्रदय रखते हुवे शुद्ध भावना के साथ निर्मल दर्शन के साथ इन्द्र देव की पूजा , अर्चना और होम (हवन) करता हे,उनके सारे दुःख ,दर्द ,पीडा दुर होकर सभी मनोरथ कार्य शीघ्र पूर्ण होते हे...यही कारण से अभीतो जैन के इलावा जैनेतर समाज भी श्री माणिभद्र इन्द्र देव को 'वराह अवतार' मानते हुवे पूर्ण श्रद्धा के साथ भक्ति भाव से पूजा ,अर्चना करते हैं। मन्त्र ★|| ॐ असीआउसा नमः श्री माणिभद्र दिसतु मम सदा सर्वकार्येषु सिद्धिं || ★