Shri Vishnu Stuti श्री विष्णु स्तुति ◆
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये।।
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशहम्।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत:, स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।
सांग पदक्रमोपनिषदै, गार्यन्ति यं सामगा: ।
ध्यानावस्थित तद्गतेन, मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा, दैवाय तस्मै नम: ॥
अर्थ~ जिनकी आकृति अतिशय शांत है, जो शेषनाग की शैया पर शयन किए हुए हैं, जिनकी नाभि में कमल है, जो देवताओं के भी ईश्वर और संपूर्ण जगत के आधार हैं, जो आकाश के सदृश सर्वत्र व्याप्त हैं, नीलमेघ के समान जिनका वर्ण है, अतिशय सुंदर जिनके संपूर्ण अंग हैं, जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त किए जाते हैं, जो संपूर्ण लोकों के स्वामी हैं, जो जन्म-मरण रूप भय का नाश करने वाले हैं, ऐसे लक्ष्मीपति कमलनेत्र भगवान श्री विष्णु को नमस्कार करता हूँ।