Sri Jagannath Prarthana श्री जगन्नाथ प्रार्थना ★
रथयात्रा के दौरान 10 दिनों तक जो भी भक्त अपने दुखों से मुक्ति पाने एवं मनवाछिंत कामना की पूर्ति के लिए भगवान जगन्नाथ की इस स्तुति का पाठ करते हैं श्री जगन्नाथ जी उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं।
श्री जगन्नाथ स्तोत्र का पाठ विधि
1- सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण, श्री बलराम जी एवं देवी सुभद्रा जी पंचोपचार पूजन- जल, अक्षत-पुष्प, धुप, दीप और नैवेद्य से पूजन करने के बाद हाथ जोड़कर प्रभु का ध्यान करें।
2- पूजन के बाद स्त्रोत के पहले दो श्लोक से योगेश्वर श्री कृष्ण, श्री बलराम, और देवी सुभद्रा को दण्वत प्रणाम करें।
3- पूजन और नमन करने के बाद किसी धुले हुए आसन पर बैठकर भगवान श्री जगन्नाथ जी की इस प्रार्थना का शांत चित्त होकर धीमे स्वर में पाठ करें । •
।। श्री जगन्नाथ प्रार्थना ।।
रत्नाकरस्तव गृहं गृहिणी च पद्मा,
किं देयमस्ति भवते पुरुषोत्तमाय।
अभीर, वामनयनाहृतमानसाय,
दत्तं मनो यदुपते त्वरितं गृहाण।।१।।
भक्तानामभयप्रदो यदि भवेत् किन्तद्विचित्रं
प्रभो कीटोऽपि स्वजनस्य रक्षणविधावेकान्तमुद्वेजितः।
ये युष्मच्चरणारविन्दविमुखा स्वप्नेऽपिनालोचका:
तेषामुद्धरण-क्षमो यदि भवेत्कारुण्य सिन्धुस्तदा।।२।।
अनाथस्य जगन्नाथ नाथस्त्वं मे न संशयः,
यस्य नाथो जगन्नाथस्तस्य दुःखं कथं प्रभो।।
या त्वरा द्रौपदीत्राणे या त्वरा गजमोक्षणे,
मय्यार्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे।।३।।
मत्समो पातकी नास्ति त्वत्समो नास्ति पापहा ।
इति विज्ञाय देवेश यथायोग्यं तथा कुरु।।४।। •