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खादी वस्त्र नहीं विचार है. भारत के स्वाधीनता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी का यह सूत्र वाक्य ग्रामीण आत्मनिर्भरता, विकेंद्रित विकास और आर्थिक स्वावलंबन का प्रतीक बन गया.
खादी का इतिहास यूं तो 100 साल से भी ज़्यादा पुराना है लेकिन वर्तमान दौर में भी इसका महत्व कायम है. टिकाऊ विकास, जलवायु परिवर्तन, रोज़गार सृजन और महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण सहित कई वैश्विक चुनौतियां हैं जिनसे निपटने में खादी का उपयोग और उसका प्रचार-प्रसार अहम भूमिका निभा सकता है.
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खादी वस्त्र नहीं विचार है. भारत के स्वाधीनता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी का यह सूत्र वाक्य ग्रामीण आत्मनिर्भरता, विकेंद्रित विकास और आर्थिक स्वावलंबन का प्रतीक बन गया.
खादी का इतिहास यूं तो 100 साल से भी ज़्यादा पुराना है लेकिन वर्तमान दौर में भी इसका महत्व कायम है. टिकाऊ विकास, जलवायु परिवर्तन, रोज़गार सृजन और महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण सहित कई वैश्विक चुनौतियां हैं जिनसे निपटने में खादी का उपयोग और उसका प्रचार-प्रसार अहम भूमिका निभा सकता है.
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