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भारत में सर्दी के मौसम में, खेतों में फ़सलों की उपज काटने के बाद बचे हुए पुआल और अन्य कचरे को खुले मैदानों में जला दिया जाता हैं. इससे प्रदूषण की समस्या पैदा होती है और साँस की बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है.
भारत के एक युवा इंजानियर व अन्वेषक विद्युत मोहन ने इस समस्या के निदान के लिये एक ऐसी मशीन ईजाद की है, जिससे पुआल या पराली को उच्च तापमान में तपा कर चारकोल, खाद व ईंधन जैसी वस्तुओं में तब्दील किया जा सकता है. इससे प्रदूषण की समस्या तो हल होती ही है, किसान की आमदनी भी बढ़ती है.
भारत के विद्युत मोहन, विश्व भर से चुने गए उन 7 अन्वेषकों में से एक हैं जिन्हें पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अपने इस असाधारण काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र ने 2020 के ‘यंग चैम्पियन ऑफ़ द अर्थ-2020’ पुरस्कार से सम्मानित किया है.
उनके कार्य के बारे में विस्तृत जानकारी के लिये हमारी सहयोगी अंशु शर्मा ने उनके साथ बातचीत की...
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भारत में सर्दी के मौसम में, खेतों में फ़सलों की उपज काटने के बाद बचे हुए पुआल और अन्य कचरे को खुले मैदानों में जला दिया जाता हैं. इससे प्रदूषण की समस्या पैदा होती है और साँस की बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है.
भारत के एक युवा इंजानियर व अन्वेषक विद्युत मोहन ने इस समस्या के निदान के लिये एक ऐसी मशीन ईजाद की है, जिससे पुआल या पराली को उच्च तापमान में तपा कर चारकोल, खाद व ईंधन जैसी वस्तुओं में तब्दील किया जा सकता है. इससे प्रदूषण की समस्या तो हल होती ही है, किसान की आमदनी भी बढ़ती है.
भारत के विद्युत मोहन, विश्व भर से चुने गए उन 7 अन्वेषकों में से एक हैं जिन्हें पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अपने इस असाधारण काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र ने 2020 के ‘यंग चैम्पियन ऑफ़ द अर्थ-2020’ पुरस्कार से सम्मानित किया है.
उनके कार्य के बारे में विस्तृत जानकारी के लिये हमारी सहयोगी अंशु शर्मा ने उनके साथ बातचीत की...
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