आनंद की तलाश किसी भी मनुष्य की सबसे मौलिक तलाश है लेकिन हर किसी की इच्छा पूरी नहीं होती। जीवन दुःख, संताप, असंतोष और अशांति से भरा हुआ महसूस होता है। इस परिस्थिति से निकलने का एक उपाय है अपने निज रूप को उपलब्ध हो जाना। जब मनुष्य इसे पा लेता है तो आनंद मनुष्य की प्रकृति बन जाता है। तो क्या है निज रूप और इसे अपनाने का तरीका क्या है?