इंसान पूरी दुनिया की यात्रा क्यों न कर ले, जो सुख अपने भीतर की यात्रा में है वो कहीं नहीं। हर तरह की खुशी, प्रसन्नता, परमात्मा, ध्यान, भगवान, इत्यादि जितनी भी दिव्य खुशियां और भाव हैं सब की अनुभूति भीतर, आपके मन में हो सकती है। लेकिन ये यात्रा तभी शुरू हो सकती है जब मन खंडित न हो, जब मन एक जगह टिक जाए और जब ये होगा तो वो सब मिल जाएगा जिसके लिए आप भटकते हैं।अब सवाल है कि मन एक जगह टिकेगा कैसे। कौन सी तकनीक है भीतर की यात्रा शुरू करने की।