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योग-वेदान्त पर दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती जी के प्रवचन। प्रस्थानत्रयी, योगसूत्र, योगवासिष्ठ इत्यादि के अतिरिक्त श्रीरामचरित मानस, रामायण, महाभारत एवं पुराण इत्यादि की वेदान्तपरक व्य... more
FAQs about दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती:How many episodes does दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती have?The podcast currently has 510 episodes available.
November 19, 2020मानस, बालकाण्ड, 28भायँ कुभायँ अनख आलसहूँ । नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ।। ......मोरि सुधारिहि सो सब भांती। जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।। यह एक सिद्ध संपुट मंत्र भी है। .......more18minPlay
November 18, 2020मानस, बालकाण्ड,27कलियुग में नामजप ही सर्वोत्तम साधन है। सत्ययुगमें ध्यान, त्रेतामें यज्ञ, द्वापर में पूजन की प्रधानता है। किन्तु कलियुग में इतना विक्षेप है कि ध्यान लगता नहीं, यज्ञ और पूजन इत्यादि में सामग्री और शास्त्रप्रक्रिया के पालन की अनिवार्यता होती है, अतः वह भी नहीं हो पाता। केवल नाम जप ही एकमात्र ऐसा उपाय है जो विना किसी बाह्य साधन के हो सकता है।"नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। रामनाम अवलम्बन एकू।।" रामका नाम नृसिंह भगवान् है, कलियुग हिरण्यकशिपु है और नामजप करने वाला प्रह्लाद है। रामनाम नरकेसरी कनककशिपु कलिकालु। जापक जन प्रह्लाद जिमि पालिहि दलि सुरसालु।।...more20minPlay
November 17, 2020श्रीरामचरित मानस, बालकाण्ड, 26राम नामकी महिमा। स्वयं राम भी नाम की महिमा का वर्णन नहीं कर सकते। शङ्करजी नामजप के कारण ही अविनाशी हैं और अमंगल वेश धारण करते हुये भी मंगलराशि हैं। शुकदेव, सनकादि ऋषि इत्यादि नामके प्रभाव से ही ब्रह्मानन्दमें मगन रहते हैं। भक्तशिरोमणि प्रह्लाद और ध्रुव की कथा प्रसिद्ध ही है। हनुमानजी ने नामजप के बल पर ही राम को अपने वशमें कर लिया है। अजामिल, गज, गणिका की कथा प्रसिद्ध है। स्वयं तुलसी दास जी अपने को कहते हैं कि मैं तो भांग के पौधे की भांति अग्राह्य था, किन्तु नामजप कर तुलसी माता की भांति पूजनीय हो गया।...more22minPlay
November 16, 2020मानस, बालकाण्ड। 25राम से बडा़ राम का नाम। ब्रह्म राम तें नामु बड़ बर दायक बर दानि। रामचरित सत कोटि महँ लिय महेश जिय जानि।। ब्रह्माजी ने सौ करोण श्लोकों के रामायण की रचना किया था। रामायन सत कोटि अपारा। वाल्मीकिना च यत्प्रोक्तं रामोपाख्यानमुत्तमम्। ब्रह्मणा चोदितं तच्च शतकोटि प्रविस्तरम्।। उस पर तीनों लोक अपना अपना अधिकार जताने लगे। झगडा़ बढा़ तो भगवान् शङ्कर के पास गये। शङ्करजी ने तीनों में बराबर बांटा तो एक श्लोक अनुष्टुप शेष रह गया। अनुष्टुप में 32 अक्षर होते हैं। उसमें से भी दस दस अक्षर तीनों लोकों को बांट दिये अब दो अक्षर शेष रहा। वह था रा और म। दो में तीन का भाग हो नहीं सकता था। अतः शङ्करजी ने कहा कि यह हमारा न्यायशुल्क या माध्यस्थम शुल्क अथवा पारिश्रमिक है। इस प्रकार सौ करोण श्लोकों में से रा और म को चुनकर शङ्करजी ने अपने पास रख लिया।...more12minPlay
November 16, 2020योगवासिष्ठ ३.८ ग्रंथ की सर्वश्रेष्ठतायदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत् क्वचित्। इमं समस्तविज्ञानशास्त्रकोशं विदुर्बुधाः।।१२।।बहुकालमियं रूढा मिथ्याज्ञान विषूचिका। जगन्नाम्न्यविचाराख्या विना ज्ञानं न शाम्यति।।२।।...more9minPlay
November 16, 2020योगवासिष्ठ ३.९.१-११, तथा भगवद्गीता १०.९-१० एवं १८.१७जीवन्मुक्त के लक्षण...more17minPlay
November 14, 2020मानस, बालकाण्ड २४- रामावतार से बडा़ है नामावतारराम का अवतार युग युग में ब्रह्माण्डमें होता है। नाम का अवतार पल पल में पिण्ड में होता है। रामको भक्तोंके लिये शरीर धारण कर कष्ट उठाना पड़ता है। नाम अनायास ही भक्तके कष्टों को दूर कर मङ्गलमय बना देता है।...more18minPlay
November 13, 2020मानस, २२-२३ब्रह्मके सगुण और निर्गुण दो रूप हैं। नाम दोनों से बडा़ है। दोनों ही नामके अधीन हैं। निरगुन ते ईहि भांति बड़ नाम प्रभाउ अपार। कहउं नाम बड़ राम तें निज बिचार अनुसार।।...more18minPlay
November 13, 2020मानस, बालकाण्ड,२०-२१वाक्योंकी शोभा र और म से है। एक क्षत्र है दूसरा मुकुटमणि। नाम और रूप दो उपाधियां हैं ईश्वरकी। नाम और रूप परस्पर अभिन्न हैं। फिर भी रूप नामके अधीन है। नाम लेने पर कोई न कोई रूप मानसपटल पर उपस्थित होता है। यह जगत नाम रूपात्मक है। इसलिये, राम नाम मनि दीप धरु, जीह देहरी द्वार। तुलसी भीतर बाहरहु , जौं चाहसि उजियार।।...more21minPlay
November 11, 2020मानस, बालकाण्ड, 20.2-3राम शब्द के दोनों अक्षर रा और म दोनों भाई राम लक्ष्मण की भांति हैं, ब्रह्म और जीव की भांति स्वाभाविक साथी हैं, नर और नारायण की भांति शाश्वत सखा हैं, सूर्य और चन्द्र की भांति जगत् के लिये कल्याणप्रद हैं।...more22minPlay
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